Introduction :- लेथ एक प्रकार का मशीन है , जिसके द्वारा सभी प्रकार की मशीनों के पार्ट्स का उत्पादन किया जाता है। लेथ मशीन पर जो कारीगर कार्य करता है। कार्य के अनुसार लेथ मशीन पर विभिन्न प्रकार के कटिंग टूल्स , अटैचमटें और अससे रीस का प्रयोग करके कई प्रकार की कार्य क्रियाएँ की जा सकती है।
मुख्य पार्ट्स(main parts):-
1 बडे(bed) – यह लेथ का मुख्य अगं हाते ा है जिस पर लेथ के दुसरे अंग जैसे – हेड स्टाॅक , टेल स्टाॅक, कैरेज
आदि यह प्रायः कास्ट आयरन का बना होता है (फ्लैट बेड , वी बेड)।
2 हडे स्टाॅक(head stock) – यह लेथ का मुख्य अगं है जाेि क लेथ के बाएॅ सिरे पर स्थायी रूप् में फिट रहता है इसके दो प्रकार हाते े है।
(a)कोन पुली हेड स्टाॅक – इस प्रकार का हेड स्टाॅक कास्ट आॅयरन के खोखले बाॅक्स के समान होताहै इसमें तीन या चार स्टेप वाली पुली लगी रहती है, इसमें स्पिडल को दो बियरिंग पर बैठाया जाता है। काने पुली के दाएँ ओर लेथ स्पिण्डल पर एक बुल गियर भी लगी रहती है, जिसको कोन नुली के साथ एक लाॅक पिन के द्वारा जोड़ा जा सकता है।
(b)गियर्ड हेड स्टाॅक – इस प्रकार का हेड स्टाॅक देखने में कास्ट आयरन की खेखले बाॅक्स के समानहाते ा है। इसमें स्पिण्डल और स्पिण्डल पर कई सइजों की गियरस् फिट रहती है, लेथ मशीन के स्पिण्डल को दो या अधिक ‘वी‘ बेल्टों की सहायता से मोटर की नुली के साथ जोड़ा जाता है।
3 टले स्टाॅक(head stock) – यह लेथ का मुख्य अगं है, जाेि क प्रायः लेथ के दाएॅ सिरे पर फिट रहता है इसको लेथ के बडे पर किसी भी निश्चित पोजीशन में फिक्स किया जा सकता है। इसका मुख्य प्रयोग जाॅब को सेंटरों के बीच बाँधने के लिए ड्रिलिंग, रीमिंग, टैपिंग आदि आॅपरेशन करने के लिए और सेट ओवर विधि से टपे र टर्नि ंग करने के लिए किया जाता है।
इसके मुख्य पार्ट्स है:- हैण्ड व्हील , लाॅक लीवर , स्क्रू राॅड, क्लेि म्पंग बोल्ट और नट , स्पिण्डल।
4 कैरजे(carriage) – यह लेथ का मुख्य अगं है जिस पर फीडिंग कंट्रोल वाले पार्ट्स फिट रहते है इसको मशीन के हेडस्टाॅक और टले स्टाॅक के बीच मं आगे पीछे चलाया जा सकता है,
इसके मुख्य पार्ट्स है:- सैडल , कम्पाउण्ड रस्े ट , ऐप्रन।
5 लीड स्क्रू(lead screw) – यह कार्बन स्टील की थ्र ेडिड राॅड होती है जिस पर ऐक्मी चूड़ियाँ कटी होती है। लीड स्क्रू लेथमशीन के सामने वाले भाग मे फिट रहता है, 2-टी.पी.आई. वाले लीड स्क्रू भारी कार्यो के लिए 4-6 टी. पी.आई. वाले मध्यम कार्यो के लिए और 8 टी.पी.आई. वाले हल्के कार्यों के लिए प्रयोग में लाए जाते है।
लीड स्क्रू का मुख्य कार्य विभिन्न आकार की लेफ्ट हैंड और राइट हैंड चूड़ियाँ काटने के लिए किया जाता है।

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लेथ के प्रकार(type of leth):-
1 इजं न या सटें र लेथ – यह एक बहुत ही सामान्य प्रकार की लेथ होती है इस प्रकार की लेथ प्रायः सीभ वकशर्् ाापों में साधारण कार्यो के लिए प्रयोग में लाई जाती है।
(a) बेंच लेथ – यह छोटे साइज की लेथ होती है जिसको बेंच पर फिट किया जाता है।
(b) एस. एस. – इस लेथ का पूरा नाम स्लाइडिंग , सरफेसिंग और स्क्रू कटिंग लेथ है यह लेथ प्रायः वकशर्् ााप मे पायी जाती है।
leth machine (लेथ मशीन)
2 प्राडे क्शन लेथ:- इस प्रकार की लेथ उत्पादन कार्या े के लिए प्रयोग में लायी जाती है।
(a) केपस्टन लेथ – यह लेथ सेंटर लेथ का विकसित रूप है, जिसका मुख्या प्रयोग बहु उत्पादन कार्यो के लिए किया जाता है, इसमें टेल स्टाॅक नहीं होता , बल्कि 6 मुखी टरिट् हेड होता है जिसमें 6 या अधिक विभिन्न आकार के टलू बाँधे जा सकते है।
(b) टरिट् लेथ – यह लेथ केपस्टन लेथ के समान होती है जिस पर टेल स्टाॅक नहीं होता है, बल्कि 6मुखी टरिट् हैड होता है इस लेथ का मुख्य प्रयोग बहु उत्पादन के कार्यो के लिए किया जाता है।
जिस पर प्रायः लम्बे और भारी कार्य किए जाते है।
3 स्पश्े ाल लेथ – इस प्रकार की लेथ किसी एक प्रकार के स्पेशल कार्य को करने के लिए प्रयोग में लायी जाती है । स्क्रू कटिंग लम्बाई , रिलीविंग लेथ , कोपिंग लेथ , क्रेक शाफ्ट टर्निंग लेथ , आॅटोमेटिक लेथ।
(a) फारे जाॅ चक – इसको इण्डिपेंडेंट चक भी कहते है इसमें चार जाॅस् होते है प्रत्येक जाॅ को चक की चाबी के द्वारा जाॅब को पूर्ण शुद्धता में पकड़ा जा सकता है इस चक पर प्रत्यके जाॅ को उल्टा लगाकर बड़े साइज के जाॅब को आसानी से पकडा़ जा सकता है।
(b) थ्री जाॅ चक – इसको यूनिवर्सल चक भी कहते है इसमें तीन जाॅस् होते है जोकि चक की चाबी के द्वारा एक साथ चलते है है , इस चक में जाॅब को आसानी से सेंटर में बाँधा जा सकता है।
(c)काॅलटे चक – इस प्रकार के चक का प्रयागे छाटे े साइज के जाॅब और पिनों आदि को पकड़ने के लिए किया जाता है इसमें बले नाकार, चैकारे , षट्भुज आकार के जाॅब आसानी से बाॅधे जा सकते है।
(d) मैगनेि टक चक – इस प्रकार के चक में जाॅब को चुम्बकीय शक्ति द्वारा पकड़ा जाता है, इसका प्रयोग प्रायः पतले जाॅब पकडऩ े के लिए किया जाता है। स्थायी चुम्बकीय चक , विघुत चुम्बकीय चक।
टलु पोस्ट – टलू पोस्ट लेथ के कम्पाउण्ड रस्े ट के ऊपरी भाग पर फिट रहता है इसका मुख्य प्रयोग लेथ टलु पोस्ट को ठीक पोजीशन में अच्छी तरह से पकडऩ े के लिए किया जाता है।
पिलर टाइप टूल पोस्ट:- इस प्रकार के टूल पोस्ट प्रायः हल्के कार्यो वाली लेथ पर पाया जाता है इसमें कवे ल एक ही टॅल बाँधा जा सकता है इसमें टूल को पिलर में बने स्लाॅट में और राॅकर आर्म पर रखकर बोल्ट के द्वारा कसकर सटे करते है।
क्विक चेंज टलू पोस्ट:- इस प्रकार का टूल पोस्ट आधुनिक लेथों पर प्रयोग में पाया जाता है मुख्य लाभ यह है कि इसमें टूल को शीघ्रता से बदली किया जा सकता है।
आपेन साइड टूल पास्े ट:- इस प्रकार का टॅल पास्े ट हल्के और भारी दोनों तरह का कार्य करने वाली लेथ मशीनों पर पाया जाता है यह टूल पोस्ट एक ओर से खुला होता है जिसमें टूल को बैठाकर बोल्टों के द्वारा कसा जाता है।
टरिट् या मल्टी टलू पोस्ट:- इसको चैकोर टूल पोस्ट भी कहते है , इस टूल पोस्ट पर चारों ओर अलग-अलग चार टलू बाँधे जा सकते है इस प्रकार कार्य क्रियाओं के अनुसार एक के बाद दूसरा टूल में प्रयागे में लाया जा सकता है।
लेथ सेंटर – लेथ पर लम्बे जाॅब के दाने ों किनारों को हेड स्टाॅक और टेल स्टाॅक की ओर से सहारा देने के लिए लेथ सेंटर्स का प्रयोग किया जाता है, लेथ सेंटर्स प्रायः हाई कार्बन स्टील के बनाए जाते है जिनको हार्ड व टम्े पर करके ग्राइंि डंग फिनिश कर दिया जाता है।
लाइव सेंटर:- जो सेंटर हडे स्टाॅक के स्पिण्डिल में लगी स्लीव में फिट किया जाता है। उसे लाइव सेंटर कहते है। इसका प्रयागे हडे स्टाॅक की ओर से जाॅब को सहारा देने के लिए किया जाता है। इसकी शैंक पर मार्से स्टैण्डर्ड टपे र कटा हाते ा है और नाॅक का कोण 60° होता है।
डडे सेंटर – जो सेंटर टले स्टाॅक के स्पिण्डल में फिट किया जाता है, उसे डेड सेंटर कहते है, इसका प्रयोगटले स्टाॅक की ओर से जाॅब को सहारा देने के लिए किया जाता है।
रिवाल्ंिवग सेंटर – डेड सेंटर की कमियों को दरू करने के लिए और अधिक गति पर कार्य को करने के लिए डडे सटें र के स्थान पर रिवाल्ंिवग सेंटर का प्रयोग किया जाता है, इसे सेंटर की बाॅडी में एक बियरिंग लगारहता है।
लेथ स्टडे ी:- लेथ पर कार्य करते समय लम्बे तथा भारी छड़ के लचीलेपन के प्रभाव को रोकने के लिए जो साधन प्रयागे में लाया जाता है, उसे लथ्े ा स्टडे ी कहते है, लम्बे कार्य का लचीलापन टूल के दबाव के कारण या कार्य के अपने भार के कारण हो सकता है, जिसको केवल स्टेडी के द्वारा ही रोका जा सकता है।
ट्रवे लिंग स्टेडी:- इसको फ्लोअर स्टेडी भी कहते है इसकी बाॅडी में पीतल या काँसे की दो अंगुलियाँ एकदसू रे के समकोण पर लगी हाती है, एक अंगुली जाॅब को ऊपर से तथा दूसरी टूल के विपरीत दिशा से जाॅबको सहारा देती है, इस प्रकार जाॅब पर लचीलेपन का प्रभाव नहीं पड़ता है।
फिक्सड स्टेडी:- इस प्रकार की स्टेडी का प्रयोग लम्बे तथा भारी कार्यो ं को दूसरे सिरे पर सहारा देने के लिएकिया जाता है, यह गोलाकार होती है, जिसके ऊपर वाले भाग को बाहर की ओर खोला जा सकता है, इसमें तीन अंगुलियाँ एक दूसरे से 120° के कोण में फिट रहती है।
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